Wednesday, September 5, 2018

बीबीसी हिंदी डॉट कॉम : नियम व शर्तें

बदरा गांव से विदा लेते हुए ही हमें पड़ोस के संगरूर जिले के खोखर खुर्द गांव में एक 23 साल के किसान की आत्महत्या की ख़बर मिली.
कर्ज़ और बैंक के नोटिसों ने परेशान नमृत पाल ने 14 जून 2018 की रात रेल की पटरी पर लेटकर आत्महत्या कर ली. पीछे दो छोटे बच्चे, पत्नी और बूढ़े माँ-बाप को छोड़ गए नमृत अक्सर उदास रहते और अपनी माँ से कहते, ‘माँ मेरा मरने को जी करता है’. अपनी शादी की तस्वीर में नमृत किसी नौजवान रंगरूट की तरह लगते हैं. अपने पिता के मातम में मासूमियत से चिप्स खाते उनके बच्चे, उनको ‘लाड़ी-लाड़ी’ कहकर पुकारती उनकी पत्नी और दहाड़ें मार मार कर रोती उनकी माँ गुरमीत कौर को देखकर पंजाब की एक स्याह तस्वीर मेरे सीने में धंस गई.
आगे पंजाब छोड़ते हुए हमारी मुलाक़ात ‘भारतीय किसान यूनियन एकता-उगराहन’ नामक स्थानीय किसान संगठन के बैनर तले एक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने जा रहे किसानों से हुई. पीले झंडे लिए जत्थों में चलते हुए ये किसान सरकार की ओर से धान की रोपाई की तय तारीख़ के ख़िलाफ़ अपना विरोध जताने बरनाला शहर जा रहे थे.
मैंने वहां खड़े किसानों से बातचीत में पूछा कि हरित क्रांति की इस धरती पर आज इतने किसान ख़ुदकुशी क्यों कर रहे हैं.
तभी अपने संगठन का झंडा हाथ में पकड़े एक बुज़ुर्ग किसान ने अपना नाम बारह सिंह बताते हुए कहा, “हरित क्रांति से सिर्फ़ बीज कंपनियों, पेस्टीसाइड कंपनियों और ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों का फ़ायदा हुआ है. हमें महंगे बीज, महंगी खाद बेच गए कंपनी वाले. बड़े ट्रैक्टरों बेच के मुनाफ़ा कमा गई कंपनियां. हमें क्या मिला? सिर्फ़ इन सामनों को ख़रीदने के लिए लिया गया कर्ज़ा.
कभी कीड़ों से तो कभी ओलों से फ़सल ख़राब हो जाती है. सरकार की तरफ़ से कोई मुआवज़ा या लोन माफ़ी नहीं मिलती. हर बार सरकार पंजाब के किसानों के संकट को सिर्फ़ कमेटियों की सिफ़ारिशों में दबा के रख देना चाहती है.
ज़मीन पर मिमिनम सपोर्ट प्राइस पर फ़सल बेचने के लिए भी हमें लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं. ऐसे में किसान आत्महत्या न करे तो और क्या करे”.
जुलाई को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को उनकी मुआवज़ा और राहत नीति पर फटकार लगाते हुए कहा कि मुआवज़ा सिर्फ एक अंतरिम उपाय है. सरकार को बढ़ती किसान आत्महत्यायों के कारणों पर एक हलफनमा दाख़िल करने का आदेश देते हुए अदालत यह भी पूछा की सरकार बढ़ती किसान आत्महत्यायों को रोकया इससे जुड़ी साइटों पर प्रदर्शित सामग्री की कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन राइट्स, पेटेंट और दूसरे बौद्धिक संपदा अधिकार बीबीसी के और इसके अन्य लाइसेंसधारकों के पास सुरक्षित हैं. किसी को भी इसके नकल, पुनर्प्रकाशन, सामग्री को अलग-अलग करने, डाउनलोड करने, पोस्ट करने, प्रसारित करने, सार्वजनिक करने का अधिकार नहीं है.
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ने के लिए क्या दीर्घकालिक उपाय कर रही है. फिलहाल सरकार अदालत में प्रस्तुत करने के लिए जवाब तैयार कर रही है पर इस जवाब का असली इंतज़ार तो पंजाब के किसानों को है. प इस बात से सहमत हैं कि आप  का उपयोग सिर्फ़ वैध कार्यों के लिए करेंगे और इसका उपयोग इस तरह से करेंगे कि इससे किसी अन्य के अधिकारों का हनन न होता हो, किसी अन्य को  . देखने और उसका आनंद लेने में बाधा न पहुँच रही हो. इस व्यवहार में किसी को तंग करना, किसी के लिए तनाव पैदा करना, अभद्र या अश्लील सामग्री भेजना या साइट में बाधा पहुँचाना शामिल है.लिखित सामग्री से लेकर तस्वीरों, ऑडियो और वीडियो तक कोई भी सामग्री यदि आप बीबीसी को भेजते हैं या साझा करते हैं तो आप इसका इस बात से सहमत होते हैं कि बीबीसी इसका उपयोग बिना भुगतान किए किसी भी तरह से, दुनिया भर में बीबीसी की किसी भी सेवा में कर सकती है. (जिसमें संशोधन और संपादकीय कार्यों के लिए उपयोग के अनुरुप बनाना शामिल है. विशेष परिस्थितियों में बीबीसी आपकी सामग्री को किसी तीसरी पार्टी को भी दे सकती है.आपकी सामग्री पर आपका कॉपीराइट बना रहेगा और बीबीसी को दिया गया अधिकार एकाधिकार नहीं होगा यानी आप इस सामग्री का उपयोग कहीं भी करते रह सकेंगे और किसी दूसरे को भी उपयोग में लाने की अनुमति दे सकेंगे.
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